आचार्य वात्स्यायन का ग्रंथ कामसूत्र दुनिया को भारत का बेशक़ीमती तोहफ़ा है. तक़रीबन दो हज़ार साल पहले आचार्य वात्स्यायन ने इसकी रचना की थी. यह ग्रंथ हमें पंचेंद्रियों से प्राप्त होनेवाले सेक्स-सुख की ग्रैविटी से उठाकर मन और चेतना के गूढ़ ज़ीरो ग्रैविटी क्षेत्र में पहुंचा देता है. यहां पर जानते हैं, वात्स्यायन के कामसूत्र के कुछ ख़ास सुपर सूत्रों के बारे में
बत्तियां जलाएं, दर्पण से पर्दा हटाएं
कामसूत्र में बेडरूम में दर्पण की अहमियत पर भी प्रकाश डाला गया है. वासागृह (शीशमहल) में दरवाजों के पल्लों पर कामदेव की दोनों पत्नियों प्रीति और रति के साथ-साथ बाण साधे कामदेव का चित्र लगा होने का वर्णन करने के साथ-साथ कामसूत्र कहता है कि वासागृह की भित्तियों पर गोल-गोल शीशे लगे हुए होते थे, जिनमें प्रियतमा के बहुत सारे प्रतिबिंब बनते रहते थे. आज के दौर में शीश महल सबके लिए संभव हो या न हो, लेकिन ‘वोगिंग’ ज़रूर संभव है. वोगिंग का मतलब है शीशे के सामने खड़े होकर सेक्स करना और अपनी पार्टनर को अपने साथ सेक्सरत देखना. हाउ टू बी ए ग्रेट लवर किताब की लेखिका और मशहूर सेक्स मनोविशेषज्ञ लाउ पेज ने कहा है कि पुरुष की सबसे तीव्र इच्छा होती है अपनी पार्टनर को अपने साथ सेक्सरत देखना. इतना आनंद उसे पॉर्न देखने में भी नहीं मिलता है. दरअस्ल, सेक्स करने-कराने से कहीं अधिक महसूस करने का मामला है. तो आज भी वात्स्यायन के इस सूत्र को आज़माएं और शीशे में निहारे अपने अंतरंग पलों को.
आज़माएं, आलिंगन के 8 पैक्स
कामसूत्र (श्लोक 2-2.4-16) कहता है कि सेक्स करने से पहले आलिंगन और चुंबन आदि ज़रूर कर लेना चाहिए. इससे कामोत्तेजना बढ़ती है और एक अजीब-सा सुकून भी मिलता है. कामसूत्र ने आचार्य वाभ्रवीय और सुवर्णानाभ के ज़रिए आलिंगन के आठ प्रकार बताए हैं. लतावेष्टिक, वृक्षादिरूढ़क, तिलतंडुलक, क्षीरजलक, अरुपगूहन, जघनोपगूहन, स्तनालिंगन और ललाटिका. लतावेष्टिक में जैसे पेड़ पर लता लिपट जाती है, उसी तरह स्त्री पुरुष से लिपटकर मुंह को हल्का-सा झुकाकर, थोड़ा हटकर, सिसकारियां लेती हुई, उसके मुख-सौंदर्य का अवलोकन करते हैं. वृक्षादिरूढ़क में स्त्री किसी पेड़ पर चढ़ने की तरह अपने एक पैर से पुरुष के एक पैर को दबाती है और अपने दूसरे पैर से पुरुष के दूसरे पैर को पूरी तरह से लपेट लेती है. अपना एक हाथ पुरुष की पीठ पर रखकर, दूसरे हाथ से उसके कंधे और गर्दन को नीचे की तरफ़ झुकाकर धीरे-धीरे उसे चूमते हुए उस पर चढ़ने की कोशिश करती है. तिलतंडुलक में बेड पर स्त्री के दाहिनी ओर लेटा पुरुष अपनी बाईं टांग को स्त्री की जांघों के बीच औ बाएं हाथ को उसकी दाई कांख के बीच डालकर आलिंगन करता है. इस प्रकार के आलिंगन में दोनों की टांगें और भुजाएं ऐसे मिलती हैं, जैसे धान में तिल. क्षीरजलक आलिंगन में पुरुष की गोद में बैठकर स्त्री अपनी दोनों टांगों को उसकी कमर में फंसा लेती है और दोनों अपनी-अपनी छाती को आपस में मिलाकर ज़ोर-ज़ोर से दबाते हैं. अरुपनगूहन में स्त्री और पुरुष एक-दूसरे की तरफ़ मुंह करके लेट जाते हैं. अपनी एक या दोनों जांघ से पार्टनर की एक या दोनों जांघ को बहुत ज़ोर से दबाते हैं. जघनोपगूहन में पुरुष की जांघ को अपनी जांघ से दबाती हुई स्त्री को उसके ऊपर लेटना होता है. स्तनालिंगन में स्त्री अपने स्तनों को पुरुष की छाती से लगाकर उनका सारा वज़न पुरुष की छाती पर डाल देती है और उसके बाद उन्हें ज़ोर से दबाती है. वहीं ललाटिका में पार्टनर के मुंह के सामने अपना मुंह और उसकी आंखों के सामने अपनी आंखें करके उसके मस्तक को दबाना होता है.
चुंबन से लगाएं, उत्तेजना के समंदर में गोता
कामसूत्र में चुंबन को उत्तेजना का वाहक कहा गया है. कामसूत्र ने चुंबन के चार प्रकार बताए हैं-सम (पति-पत्नी का एक-दूसरे के सामने मुंह करके एक-दूसरे के होंठों को चूसना), तिर्यक (मुंह को थोड़ा-सा मोड़कर और होंठों को गोल-गोल आकार में बनाकर आपस में पकड़ना), उद्भ्रांत (स्त्री की पीठ की तरफ़ बैठकर अपने हाथों से उसका सिर और ठोढ़ी पकड़कर अपनी तरफ़ घुमाकर होठों को चूमना) और अवपीड़ितक (उक्त तीनों तरह के चुंबनों में होंठों को बहुत ज़ोर से दबाया जाना). मौजूदा दौर के सेक्स विशेषज्ञ कहते हैं कि जब हम किस करते हैं तब हमारा ब्रेन डोपामाइन, ऑक्सिटोसिन और सेरोटोनिन का केमिकल कॉकटेल तैयार करता है. इससे हम उत्तेजना के नए शिखर पर पहुंच जाते हैं.
प्यार खेल है, जमकर खेलें
कामसूत्र ने सेक्स के दौरान प्रहार और सीत्कार को महत्वपूर्ण माना है. इस प्रहार के लिए दोनों कंधे, दोनों स्तनों के बीच का भाग, पीठ, जांघें, सिर और दोनों बगलें उपयुक्त रहती हैं. कामसूत्र के अनुसार प्रहार चार तरह के होते हैं-अपहस्तक (उल्टी हथेली से थपकी मारना), प्रसृतक (हाथ फैलाकर मारना), मुष्टि (मुक्का मारना) और समतल (हथेली मारना). इस प्रहार का संबंध सीत्कार से होता है. सीत्कार से आठ अलग-अलग तरह की आवाज़ें निकलती हैं. हिंकार (हिं हिं की आवाज़ निकालना), स्तनित (हं), कूजित (धीरे-धीरे कुकुवाना), रुदित (रोने की आवाज़ निकालना), सूत्कृत (सी-सी की आवाज़ निकालना), शब्दा वारणार्थ (उई, प्लीज़ आदि जैसे शब्दों का उच्चारण), पारावतपरभूत (बदल-बदल कर आवाज़ें निकालना), फूत्कृत (फल को पानी में गिराने के बाद ‘डुब्ब’ की आवाज़ की तरह आवाज़ निकालना).
आसान हों आसन
आचार्य वात्स्यायन ने कामसूत्र में सेक्स-आसन को ‘चित्ररत संभोग’ कहा है और इसे सामान्य कपल के लिए ग़लत बताया है. कामसूत्र के अनुसार आसन उनके लिए है, जो आसानी से सेक्स कर पाने में सक्षम नहीं हैं या आनंद महसूस नहीं करते हैं. कामसूत्र कहता है कि सेक्स की इच्छा के अनुसार स्त्री-पुरुष के तीन प्रकार- मंदवेग, मध्यम वेग और चंडवेग होते हैं. वेग और साइज़ को ध्यान में रखकर सेक्स आसनों का इस्तेमाल करना चाहिए. शश यानी खरगोश पुरुष के साथ सेक्स के समय स्त्री अपनी जांघों को सिकोड़ लें, उत्फुल्लक यानी कमर के नीचे तकिया रख लें. कामसूत्र कहता है कि सेक्स के दौरान स्त्री-पुरुष में अवस्था भेद नज़र आता है. पुरुष करनेवाला, तो स्त्री करानेवाली होती है. इस अवस्था-भेद को त्यागकर दोनों आनंद देनेवाले बन जाएं तो काम अछन्न (अदृश्य) हो जाता है और प्रेम प्रसन्न तथा संपन्न होता है. काम का अछन्न होकर प्रेम बन जाना ही सर्वोत्तम आसन है.
बिस्तर पर आज़माएं वात्स्यायन के यह सूत्र